शनिवार, 10 अप्रैल 2010

जिस्मानी रिश्ते कायम कर रहे दो व्यक्तियों का स्टिंग-एक रिपोर्ट अब्दुल्ला की

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 7 महीने पहले जोरशोर से शुरू हुआ न्यूज चैनल 'वायस आफ नेशन' उर्फ 'वीओएन' आजकल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रीडर. डा. एसआर सीरस की मौत की वजह से कुख्याति हासिल कर रहा है. इसी चैनल के जर्नलिस्टों ने डा. सीरस के घर में जबरन घुसकर सेक्स स्टिंग किया और उस स्टिंग को इस चैनल के आकाओं ने बिना सोचे-विचारे, बिना जांचे-परखे प्रसारित भी कर दिया. यह कारनामा करने वाले 'वीओएन' के चैनल हेड जे. थामस हैं जो 14 वर्षों से मीडिया में हैं और ज्यादातर वक्त छुटभैय्ये चैनलों में बिताया.
थामस के तीत के बारे में पता किया गया तो मालूम चला कि वह पीबीसी टीवी, पटियाला टीवी, टीवी100, जैन टीवी जैसे चैनलों में काम करते रहे हैं. बताया जा रहा है कि वीओएन चैनल हेड जे. थामस को बिजनेस टारगेट भी दिया गया है जिसे वे पूरा नहीं कर पा रहे हैं और इसी कारण चैनल में कई तरह की गड़बड़ियां शुरू हो गई हैं. आंतरिक गुटबाजी ने इस चैनल की हालत और खराब कर रखी है. सेक्स स्टिंग दिखाने के मामले में चैनल का नाम उछलने के बाद बवाल शुरू हो गया है. चैनल के लोग एक दूसरे के सिर पर इसका ठीकरा फोड़ने में लगे हैं.
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में चैनल के आउटपुट हेड श्रीनिवास पंत अपनी टीम के साथ चैनल छोड़ कर चले गए. साथ ही बिजनेस डेस्क हेड सुदेश कुमार भी चैनल से किनारा कर श्रीनिवास और उनकी टीम के साथ देहरादून से जल्द ही शुरू होने वाले एक दूसरे न्यूज़ चैनल में चले गए हैं. इनके अलावा एचआर के सुमित प्रताप सिंह, क्राइम हेड संजीव शर्मा, प्रोड्यूसर प्रदीप थलवाल, प्रोग्राम प्रोड्यूसर दिलीप मिश्रा, सारंग जोशी, पूनम पाल, भारती शर्मा, एंकर मनु शर्मा, रिपोर्टर रॉबिन चौहान, शेलैन्द्र पांडे, ग्राफिक्स डिजाइनर राजेश नागवंशी, कैमरामैन दिनेश रतूड़ी, बिजेन्द्र रतूड़ी, यशपाल सैनी, राहुल शर्मा, विनोद धीमान एडिटर सुशील, आनंद, पुष्पांक आईटी से कपिल परमार, दीपक भट्ट, भरत कुमार समेत करीब 30 लोग चैनल छोड़ कर जा चुके हैं.
सबसे दुर्भाग्य की बात ये है कि चैनल हेड की सहमति से चैनल के मालिक ने यहां कार्यरत कर्मियों के वेतन में 25% की कटौती कर दी है. इसके बाद से कर्मियों में कायम असंतोष और भड़क उठा है. दूसरी ओर चैनल छोड़कर जा चुके कई लोग अपनी फंसी हुई सेलरी वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई तक करने का मन बना रहे हैं. सूत्रों के अनुसार चैनल हेड जे. थोमस अपना बिजनेस टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे हैं, जिस कारण चैनल की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. खबर यह भी है कि चैनल मालिक मनीष वर्मा ने चैनल हेड जे. थोमस को बिजनेस टारगेट पूरा करने को लेकर अल्टीमेटम भी दे दिया है. चैनल मालिक मनीष वर्मा ने देहरादून से राष्ट्रीय चैनल शुरू कर यह मिथक तोड़ने की कोशिश की थी कि एनसीआर से अलग हटकर भी राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल चलाया जा सकता है, लेकिन चैनल की वर्तमान हालत देखकर यह कहना मुश्किल ही है कि यह चैनल अब और कितने दिन चल पाएगा.
इस पूरे प्रकरण पर जे। थामस ने बताया कि उन लोगों ने डा। सीरस प्रकरण में कुछ भी गलत और आपत्तिजनक नहीं दिखाया. जो कुछ भी दिखाया गया वह कतई गैर-कानूनी या अनैतिक नहीं था. इस खबर में डा. सीरस की बाइट भी प्रसारित की गई. थामस ने खुद को बिजनेस टारगेट दिए जाने के आरोप से भी इनकार किया.
दो व्यक्ति अपने घर में आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं, समलैंगिक संबंध बनाते हैं, 'गे' रिलेशनशिप रखते हैं और मीडिया वालों को इसकी भनक लग जाती है तो सोचिए क्या होगा! कम से कम जितने बुद्धिविहीन मीडियावाले होंगे, वे तुरंत अपने तामझाम के साथ मौके पर पहुंच जाएंगे और स्टिंग आपरेशन करना शुरू कर देंगे. ऐसा ही हुआ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के माडर्न लैंग्वेज डिपार्टमेंट के रीडर डा. श्रीनिवास रामचंद्र सीरस के मामले में. मीडिया वालों को इतनी भी अकल नहीं आई कि दो लोगों के बीच का बिलकुल निजी मामला मानकर इन्हें बख्श दें. मीडिया वाले चल दिए स्टिंग करने. बिना अनुमति दूसरे के घर में घुस गए. जहां कहीं से भी अंदर का दृश्य दिख रहा था, वहां से लगे शूट करने. और तैयार कर लिया एक स्टिंग आपरेशन.
नतीजा यह कि डा. सीरस की निजी जिंदगी सार्वजनिक उपहास का विषय बन गई और डा. सीरस को कई तरह की यातना-प्रताड़ना झेलते हुए इस दुनिया से विदा होना पड़ा है. डा. एसआर सीरस अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोई कह रहा है कि खुदकुशी कर ली तो कोई कह रहा है कि जहर देकर जान ली गई है. इनकी मौत के बाद जब पुलिस सक्रिय हुई है तो कई किस्से निकलकर सामने आ रहे हैं. फिलहाल तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रीडर डॉक्टर एसआर सीरस के मामले में यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. इसके अलावा उन तीन मीडियाकर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया है जिन्होंने डा. सीरस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया था. इन मीडियाकर्मियों के नाम हैं सैय्यद आदिल मुर्तजा, आशू और कैमरामैन सिराज.
ये तीनों वायस आफ नेशनल चैनल के हैं. यह चैनल देहरादून से संचालित होता है. स्टिंग के समय आदिल मुर्तजा टीवी100 में काम करता था. इन लोगों के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइन थाने में धारा 147, 347, 352, 355, 452, 454, 455, 457, 458, 506, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. सूत्रों के मुताबिक तीनों मीडियाकर्मियों द्वारा स्टिंग किए जाने के बारे में डा. सीरस को पता चल गया था. उन्होंने इन लोगों के हाथ पैर जोड़े. पर इन मीडियाकर्मियों का दिल नहीं पसीजा. इन्होंने स्टिंग के फुटेज को अपने चैनल के पास भेज दिया. वायस आफ नेशन में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत पत्रकारों को भी इतनी अक्ल नहीं थी कि वे दो लोगों के बीच उनकी सहमति से उनके घर में घटित हुए सेक्सुवल रिलेशन की तस्वीरें दिखाने से मना कर देते. इन पत्रकारों ने स्टिंग को चैनल पर प्रसारित कर दिया.
बताया जाता है कि स्टिंग में डा. सीरस के साथ दूसरा व्यक्ति रिक्शावाला था. डा. सीरस रिक्शेवाले को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर स्थित अपने कमरे में ले गए थे. दोनों ने अपनी मर्जी से जिस्मानी रिश्ते बनाए. इसकी भनक इन तीनों मीडियाकर्मियों को लगी तो इन्होंने चुपचाप डा. सीरस के घर में प्रवेश कर पूरे दृश्य का फिल्मांकन कर लिया. बताया जाता है कि इन मीडियाकर्मियों ने विश्वविद्यालय के पीआरओ, प्राक्टर, मीडिया प्रभारी समेत कई लोगों को स्टिंग के विजुवल दिखाए. इन मीडियाकर्मियों और विश्वविद्यालय के आरोपी अधिकारियों के बीच सांठगांठ होने की बात भी चर्चा में है. स्टिंग के चैनल पर प्रसारित हो जाने के बाद से डा. सीरस कैंपस में विश्वविद्यालय अधिकारियों के बीच हंसी और उपहास के पात्र बन गए थे. उन्हें बिना जांच ही सस्पेंड करा दिया गया. उनसे उनका परिसर स्थित कमरा खाली करा लिया गया.
डा. सीरस की मौत के बाद अब उन लोगों की भी पोल खुलने लगी है जिन्होंने उनके साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रीडर डॉक्टर सीरास को जो इंसाफ उनके जीते जी नहीं मिला वो शायद अब मिल जाए. सीरस पर समलैंगिक होने का आरोप लगाकर उनका स्टिंग ऑपरेशन करने वालों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसरों और स्टिंग ऑपरेशन करने वाले 3 मीडियाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है.
वैसे मौत के बाद भी रीडर सीरस के साथ यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है. डा. सीरस के खिलाफ समलैंगिकता के आरोपों के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तो सस्पेंड कर दिया लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के बहाली आदेश के बावजूद उन्हें वापस बहाल नहीं किया गया. हाईकोर्ट के बहाली आदेश की कॉपी अब डा. सीरस की मौत के बाद भेजी गई है. हालांकि यूनिवर्सिटी के पीआरओ के मुताबिक आदेश के साथ ही कई दिन पहले ही उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था. यूनिवर्सिटी में चेयरमैन और पीआरओ के अलग-अलग बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से सीरस के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था. सीरस की मौत पर भी सवाल उठ रहे हैं. अब तक साफ नहीं हो पाया है कि सीरस ने खुदकुशी की है या फिर उनकी हत्या हुई है. साफ है कि रीडर सीरस के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया कहीं न कहीं उनकी मौत के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन भी जिम्मेदार है.
ज्ञात हो कि डॉक्टर सीरस की मौत का पता तब चला जब उनके मकान से बदबू आनी शुरू हुई. सीरस कुछ ही दिन पहले सस्पेंड किए जाने के कारण यूनिवर्सिटी के मकान को खाली करने के बाद नई जगह शिफ्ट हुए थे. डा. सीरस की मौत के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनका जवाब आपको और हमको देना पड़ेगा--
अगर डा. सीरस गे उर्फ समलैंगिक थे तो क्या उन्हें समाज में इज्जत से जीने का हक नहीं था?
गे या समलैंगिक होना कोई गुनाह तो नहीं, फिर क्यों बार-बार ऐसे लोगों को समाज दुत्कार देता है?
अपनी मर्जी से अपने घर में समलैंगिक रिश्ते बनाने वाले कानून अपने हाथ में नहीं ले रहे, फिर इनसे अपराधियों सा बर्ताव क्यों?
मीडिया के लोग अपने घरों में अपनी पत्नियों के साथ खुद के रिलेशन के दृश्य को नहीं फिल्माते तो दूसरे के घर में क्यों घुसपैठ?
जो मीडियाकर्मी दूसरे के अंतरंग जीवन में दखल दे, उनके खिलाफ क्यों न कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया जाए?

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