रविवार, 4 अप्रैल 2010

सरकारी कानून को ठेंगा दिखाकर अरबों रुपये का विज्ञापन घोटाला करने का आरोप! : अखबार के मालिक से लेकर मैनेजर तक को गिरफ्तार करने का अनुरोध : सरकारी विभागों पर घपलेबाजों को बचाने व मामले पर लीपापोती का आरोप.
बिहार के मुंगेर जिले के वकील और पत्रकार काशी प्रसाद की इच्छा है कि एचटी मीडिया की अध्यक्षा शोभना भरतिया बिहार की कंपनी के उपाध्यक्ष योगेश चंद्र अग्रवाल सहित पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर यूनिटों में पिछले नौ वर्षों में कार्यरत रहे यूनिट प्रभारियों, मुख्य संपादक, स्थानीय संपादकों के साथ-साथ 38 जिलों के प्रबंधकों, ब्यूरो प्रमुखों, विज्ञापन प्रबंधकों और प्रसार प्रबंधकों को दोषी मानते हुए सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए और इन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए. काशी प्रसाद किस अपराध में इन्हें दोषी माने जाने का अनुरोध कर रहे हैं, यह जानने के लिए आपको उनके द्वारा भेजे गए एक शिकायती पत्र को ध्यान से पढ़ना होगा. यह शिकायती पत्र काशी प्रसाद ने राष्ट्रपति से लेकर बिहार के राज्यपाल तक को भेजा है.
इस शिकायती पत्र का विषय है- राजनीतिज्ञों के संरक्षण में देश के चौथे स्तंभ मीडिया मेसर्स द हिंदुस्तान टाइम्स लिमिटेड और मेसर्स एचटी मीडिया लिमिटेड के द्वारा गैरकानूनी ढंग से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान में सरकारी विज्ञापन के प्रकाशन से अरबों रुपये की अवैध कमाई करने जैसे बड़े आर्थिक अपराध से संबंधित.
काशी प्रसाद का कहना है कि हिंदुस्तान अखबार के बिहार-झारखंड में जितने भी जिलेवार एडिशन हैं, वे अलग अखबार की तरह हैं पर इन जिलों के लिए अलग से हिंदुस्तान अखबार प्रकाशन करने की अनुमति हिंदुस्तान प्रबंधन ने नहीं ली और उल्टे हर जिले से सरकारी विज्ञापन लेते रहे. इस तरह गैर-कानूनी तरीके से प्रकाशित अखबार में सरकारी विज्ञापन लेकर सरकारी पैसे का जो नुकसान किया गया है, वह एक बड़ा घोटाला है, ऐसा काशी प्रसाद का मानना है.
काशी प्रसाद ने शिकायती पत्र में लिखा है कि वर्ष 2001 के जनवरी से 2009 के दिसंबर (भड़ास4मीडिया से बातचीत में काशी का मानना है कि यह खेल अब भी जारी हो सकता है लेकिन इस बीच कोई नया डेवलपमेंट हुआ हो तो उन्हें नहीं पता, इसलिए उन्होंने अपने शिकायती पत्र में उसी पीरियड का उल्लेख किया है जिस पीरियड के बारे में उन्हें ठीक-ठीक पता है और दावे के साथ कह सकते हैं ) तक बिहार के करीब तीन दर्जन जिलों में हिंदुस्तान शीर्षक से 38 नए दैनिक अखबारों को पूर्ण बदले हुए समाचारों के साथ पूर्ण नए समाचार फारमेट में अलग-अलग प्रकाशित किया गया लेकिन अखबार के प्रकाशकों, मुद्रकों, संपादकों और स्थानीय संपादकों ने वर्णित 38 जिलों के लिए अलग-अलग जिलावार नाम से नया अखबार नए रूप में छापने के लिए कोई भी अनुमति द प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 के तहत जिला पदाधिकारी और प्रेस रजिस्ट्रार से नहीं ली और इस टाइम पीरियड में हिंदुस्तान अखबार का मुद्रण, प्रकाशन और वितरण लगभग नौ वर्षों तक लगातार अवैध ढंग से होता रहा.
काशी प्रसाद के लंबे-चौड़े शिकायती पत्र को धैर्य से पढ़ते हुए समझना थोड़ा मुश्किल काम जरूर है पर उनके इस शिकायती पत्र से कई रहस्यों का खुलासा होता है जिसे मीडिया हाउस आमतौर पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर ठंडे बस्ते में डलवा देते हैं. काशी प्रसाद ने संसद सदस्य ब्रह्मानंद मंडल द्वारा लोकसभा में इसी संबंध में पूछे गए सवाल की कापी भी संलग्न की है. रजिस्ट्रार आफ न्यूजपेपर्स फार इंडिया आफिस से मिले जवाब और आरटीआई द्वारा मिली सूचना की कापियों को भी काशी ने भड़ास4मीडिया के पास भेजा है. पूरे मामले को विस्तार से जानने-समझने के लिए काशी प्रसाद द्वारा भेजे गए शिकायती पत्र और साथ में संलग्न अन्य दस्तावेजों पर गौर फरमाएं, जो नीचे प्रकाशित किए गए हैं.

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