रविवार, 4 अप्रैल 2010

बाँट दिया हिन्दू मुस्लिम खेमों में

अब्दुल्ला

दिल्ली से बहादुर शाह जफर, कानपुर से नाना राव पेशवा तथा तात्या टोपे, लखनऊ से बेगम हजरत महल, झाँसी से रानी लक्ष्मी बाई, इलाहाबाद से लियाकत अली, जगदीशपुर से कुवर सिंह, बरेली से खान बहादुर खाँ, फैजाबाद से मौलवी अहमद उल्ला तथा फतेहपुर से अजीमुल्ला। ये है भारत माँ के वे राष्ट्र भक्त जिन्होंने जाति-धर्म-लिंग से परे जाकर वर्ष 1857 के क्रान्तिकारी उद्घोष में फिरंगियों के छक्के छुड़ा दिये थे। उक्त स्वतन्त्रता समर को अंग्रेजों ने बहुत गम्भीरता से लेते हुए अपना चिन्तन प्रारम्भ किया। उन्हे समझते देर न लगी यदि हिन्दू-मुस्लिम एकता को न तोड़ा गया तो निश्चित ही आगे आने वाला समय उनके लिए मुश्किलों भरा होगा। फूट डालो और राज करो की नीति के तहत वायसराय लार्ड मेयो ने एक समिति बनायी जिसका कार्य उस समय के भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी सर विलियम विल्सन हंटर को सौंपा। जिसकी रिपोर्ट द इंडियन मुस्लिम के नाम से वर्ष 1871 में प्रकाशित हुई। बड़ी चालाकी से अंग्रेजो की पूर्व योजना के अनुरूप हंटर ने उनको बदतर हालात में पहुँचाने की जिम्मेदारी साम्राज्यवादी शासन तथा हिन्दुओं दोनों पर डाल दी तथा शैक्षिक रूप से मुसलमानों के पिछड़ने की जिम्मेदारी सीधे हिन्दुओं पर डाल वे भारतीय मुस्लिम तुष्टिकरण के जनक बन गये। इसके बाद सन् 1888 में सर सैय्यद अहमद खाँ ने एंग्लो-मुस्लिम डिफेंस एशोसिएशन की स्थापना की जो अंग्रेजों की योजना का हिस्सा था। जिसके द्वारा उन्हे हिन्दू-मुस्लिम एकता के स्पष्ट विभाजन की पहली राजनैतिक सफलता प्राप्त हुई। लार्ड एल्गिन द्वितीय (1894-99) ने भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है। और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जायेगी कहकर मुस्लिम समाज को भारत के शासक के रूप में इंगित कर उपरोक्त दरार को बढ़ाने का कार्य किया। धीरे-धीरे उक्त दरार 30 दिसम्बर, 1906 को एक चौड़ी खाई के रूप में नजर आई जब अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना तथा 22 मार्च, 1940 को अपने लाहौर अधिवेशन में मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की मॉग रखी।वर्तमान में 2005 में गठित सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी काफी कुछ हंटर कमेटी की ही तरह है। सच्चर कमेटी में भी हिन्दू तथा मुसलमानों को प्रतिस्पर्धी समाज के रूप में चित्रित किया गया। उक्त रिपोर्ट में न्यायपालिका सेना, संसद, बैंक व्यापार,रोटी तथा रोजगार के साधनों को भी हिन्दू तथा मुस्लिम खेमों में बाँट दिया। आज भले ही दिखाई न पड़ रहा हो पर निश्चित ही आगे आने वाला समय हंटर कमेटी की ही तरह यह हिन्दू तथा मुसलमानों की बीच की खाई को और चौड़ा करेगी तथा देश के उन सत्ता प्रतिष्ठानों को और अधिक सशक्त करेगी जो देश में मुसलमानों के शुभचिन्तक बताते है तथा झूठे ही धर्म निरपेक्षता के ठेकेदार बनते हैं, जिन्होने अपने स्वार्थों के चलते देश को कई नाम दिये तथा उन्होने राष्ट्र को खण्ड-खण्ड करने में किंचित मात्र भी हिचक का अनुभव नहीं किया, जिन्होने हिन्दू तथा मुस्लिम समाज को विभक्त कर अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक की पहचान दी। इनके ही द्वारा मजहबी तुष्टीकरण का जन्म हुआ, इन्ही तथाकथित सेकुलरवादियों के चक्कर में देश तथा समाज में कुन्ठा, क्षोभ, भय, घुटन आदि का भयावह वातावरण तैयार हुआ।
प्रश्न यह उठता है आज देश ऐसे मार्ग पर कैसे खड़ा हुआ जहाँ से उसके लोकतान्त्रिक धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर प्रश्न चिन्ह लग गया। भारत की आजादी के बाद देश पर शासन की बागडोर आयी कांग्रेस पार्टी के पास जिन्होने बड़ी ईमानदारी से अंग्रेजो की परम्परा फूट डालो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया। उन्होने धर्म निरपेक्षता की आड़ में मुसलमानों के गम्भीर अपराधों पर पर्दा डाला, उनके मजहबी कानून अलग रखे, यहाँ तक कि उनसे परिवार नियोजन तक के लिए भी नहीं कहा गया, उनको आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से जुड़ने के लिये नहीं कहा सिर्फ इस भय से कहीं उनका मुस्लिम वोट बैंक प्रभावित न हो जाये। उन्होने राष्ट्रवादी मुसलमानों की आवाज दबाकर कट्टर मजहबी मुसलमानों को बढ़ावा दिया।काँग्रेस पार्टी ने अपने स्वार्थ सिद्ध के कारण मुस्लिम समाज को धीर-धीरे इतने गहरे अंधेरे कुए में डाल दिया उन्हे लगने लगा इसी घुटन भरे अंधेरे में हमारा तथा हमारे समाज का भविष्य सुरक्षित है उन्हे सच्चाई की किरण से भय लगने लगा वे समझने लगे यह किरण हमें तथा हमारे समाज को जला कर राख कर देगी।उन्हें राष्ट्र तथा राष्ट्रवादी बातों से डर लगने लगा। उन्हें लगने लगा कि उनका हित बहुपत्नी विवाह, मजहबी तालीम तथा देश में जनसंख्या बढ़ोत्तरी में ही सुरक्षित है। यदि हम शैक्षिक स्तर पर इनका विश्लेषण करे तो पायेगी देश के प्रमुख कॉलेजों में अन्डर ग्रेजुएटस 4 प्रतिशत,पोस्ट ग्रेजुएट्स 2 प्रतिशत, आईआईटी में 3.3 प्रतिशत तथा आईआईएम में 1.3 प्रतिशत मुस्लिमों की मौजूदगी है, यदि सरकारी नौकरी में देखे वहाँ भी इनकी स्थिति संतोषजनक नहीं है, भारतीय विदेश सेवा में 1.8 प्रतिशत, भारतीय पुलिस सेवा में 4 प्रतिशत, भारतीय प्रशासनिक सेवा में 3 प्रतिशत सहित शिक्षा, गृह, स्वास्थ विभागों सहित कही भी इनकी स्थिति अनुपातिक दृष्टि से ठीक नहीं है उपरोक्त कुछ आँकड़े प्रदर्शित कर रहे है मुस्लिम समाज अन्य की अपेक्षा अधिक पिछड़ा है। यदि हम अपराध और जेलों में बंद मुस्लिमों के आँकड़े छोड़ दें तो हर स्थान पर उनकी उपस्थित काफी कम है। वे शैक्षिक स्तर पर अन्य की अपेक्षा काफी पीछे है। इसकी मुख्य वजह राजनीति क्षेत्र का वह वर्ग है जो बताता तो है वे उनके शुभचिन्तक है परन्तु वास्तव में वे सिर्फ उन्हे वोट बैंक के रूप मे ही देखते हैं। उसके अलावा उनके मजहबी धर्म गुरूओं ने भी उनका काफी नुकसान किया जिन्होने अपने समाज को आधुनिक विकास की सुनहरी किरण से वंचित रखा। अन्त में वे स्वयँ जिन्होने कभी अपने आप राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ने का प्रयास ही नहीं किया यदि वे उपरोक्त से जुडे़ होते तो उसके हर प्रकार के लाभ में भी उनकी प्राकृतिक हिस्सेदारी होती।
राष्ट्र का सत्ता प्रतिष्ठान कभी भी मुस्लिम समस्याओं के प्रति ईमानदार नहीं रहा। हमेशा उनकी समस्याओं को वोटो के तराजू में रख तौला गया जहाँ वोटो का पलड़ा समस्याओं से भारी पड़ा अतः देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनेताओ ने उनकी वृक्ष रूपी समस्याओं के मूल में न जाना बेहतर समझा तथा शाखाओं तथा पत्तों को रंग रोगन लगा बनावटी हरा भरा बनाये रहे। हंटर समिति से हमें आशा भी नहीं थी कि वे मुसलमानों के उत्थान हेतु कोई प्रभावी कदम उठायेंगे परन्तु देश का एक प्रमुख राजनैतिक दल अपनी सत्ता को आगे सुनिश्चित करने करने के लिए ऐसा कुछ करेगा जिससे देश की राजव्यवस्था का भविष्य ही दाँव पर लग जायेगी तथा आगे आने वाले समय में लोकतान्त्रिक राजव्यवस्था का आधार सेकुलर न होकर मजहबी होने का तर्क पैदा हो।हंटर समिति तथा सच्चर समिति में तीन समानतायें दिखाई देती है। प्रथम् तो यह दोनो में भूट डालो और राज करो की दूरगामी योजना है, द्वितीय दोनों में धार्मिक विद्वेष बढ़ाने का प्रयास तथा तृतीय दोनों समितियों में मुस्लिमों के प्रति ईमानदार सोच का अभाव। देश की आबादी का लगभग 14 प्रतिशत मुस्लिम है। जिनको दरकिनार कर राष्ट्र के चहुमुखी विकास एवं भारत को परम वैभव प्राप्त कराना बेमानी है। अगर मुसलमान खुद अपनी समस्याओं के हल के लिए आगे नहीं आए तो सत्ता में बैठे लोग मुस्लिम नेताओं के क्षुद्र स्वार्थ सिध्द करके मुस्लिमों का राजनीतिक और धार्मिक शोषण करते रहेंगे

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