शनिवार, 10 अप्रैल 2010

रेखा और अमिताभ - अब्दुल्ला





रोकश रोशन रेखा के दोस् हैं। उन्होंने अच्छे दोस् की तरह रेखा को खून भरी मांग जैसी फिल् दी। और भी निर्देशकों ने कोशिश की, लेकिन रेखा स्वयं में ही खो गयीं। वह पूरी दुनिया से कट गयीं। आप देखें कि वह जब भी किसी सार्वजनिक जगह पर जाती हैं, तो अपने अपीयरेंस को लेकर परेशान रहती हैं। अमिताभ बच्चन की जीवनी में रेखा काले धब्बे की तरह हैं। एक टीवी प्रोग्राम में मैंने हाल ही में देखा कि रेखा को अपनी सीट की तरफ आता देख अमिताभ वहां से उठ कर चले गये। वह देख कर मुझे लगा कि दोनों के बीच कोई चक्कर है। अचानक उठना और चल देना वास्तव में मुंह छिपाने की तरह है। रेखा से भागने की तरह हैअगर आपके अंदर कोई चोर नहीं है, तो आप ऐसा क्यों करेंगे? मुझे लगता है कि अमिताभ पहले दिन से ही रेखा को लेकर गंभीर नहीं थे। इसके अलावा वे बहुत ही ज़्यादा क्लास कंशस भी हैं।
अमिताभ किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करते थे, जो उनसे ज्यादा पॉपुलर हो और बेहतर काम कर रहा हो। अमजद खान से उनकी अच्छी दोस्ती थी। दोनों की जोड़ी पर्दे पर पॉपुलर थी, लेकिन अचानक कुछ हुआ और दोस्ती ख़त् हो गयी अमिताभ दूसरों से रश् करते हैं। उनके अंदर ज़बर्दस् ईर्ष्या है।
मुझे लगता है कि हृषीकेश मुखर्जी ने उनके स्वभाव के इस पहलू को समझा था। अभिमान बनाते समय उन्होंने इसे उकेरा। मैं हृषी दा से भी मिली। जया चाहती थीं कि मैं उनसे ज़रूर मिलूं। मैं जिस दिन उनसे मिलने गयी, उस दिन अमिताभ ने मुझे गाड़ी से नहीं भेजा। उन्होंने मुझे ऑटो से भेजा। निश्चित ही वे नहीं चाहते थे कि मैं हृषी दा से मिलूं। मेरे ख्याल से हृषी दा जया के कैंप के थे। उन्होंने अमिताभ की ईर्ष्या को अभिमान में अच्छी तरह दिखाया। वे अमिताभ का स्वभाव समझ गये थे। हृषी दा से मुलाकात हुई, तो उन्होंने अमिताभ को अधिक तवज्जो नहीं दी
जया सामान् रूप से अमिताभ से नाराज़ रहती थीं। वे अमिताभ के मूड को समझ नहीं पाती थीं और रिश्ते में बनायी दूरी से खीझती थीं। वे हमेशा शिक़ायती लहजे में बातें करती थीं। जया चाहती थीं कि वे फिर से राजनीति में जाएं। लेकिन अमिताभ को चुप कराना आता है। वे अपने विश्वास में इतने दृढ़ हैं कि आप टस से मस नहीं कर सकते। इसलिए ऐसा लगता था कि सामान् बातचीत में भी जया उनसे बहस कर रही हैं। मैं जया को दोषी नहीं मानती। उन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ी थीं। मैंने उनसे कहा था कि इस व्यक्ति के साथ आपकी शादी खुशहाल नहीं हो सकती, क्योंकि वे अपने दिमाग़ में अकेले हैं। वे दूसरों के नज़रिये से नहीं सोचते। वे परिवार का पालन एक धर्म के तहत करते हैं। अमिताभ के व्यक्तित् में एकाधिकार की प्रवृति है, लेकिन वे एकाधिकारवादी पुरुष नहीं हैं। वे पुरुष अहमन्यता के शिकार लगते हैं, लेकिन हैं नहीं।
अमिताभ और जया नज़रें चुरा कर बातें करते हैं। वे आंखों में आंखें डाल कर बातें नहीं करते। दोनों के सोचने के तरीक़े अलग हैं। वे दो अलग व्यक्तियों की तरह हैं। अमिताभ के वजूद का मतलब है जया की समाप्ति। उनके परिवार में कभी तलाक की बात सुनी नहीं गयी। वे स्पष् हैं कि उनकी शादी एक सामाजिक संस्कार है, जिसे उन्हें निभाना है। अमिताभ के लिए विवाह कर्तव् रहा है, उसमें प्यार नहीं है। अमिताभ श्वेता के अधिक करीब हैं।
अभिषेक अपनी सीमाएं जानते हैं। उनकी छवि अपने पिता जैसी नहीं है। उन्होंने समर्पण कर दिया है। पिता के साये में जीने और एडजस् करने में थोड़ी दिक्कत होती है, लेकिन वह हालात के अनुसार बदलना जानते हैं।
जया मेरे लिए गाड़ियों का इंतजाम करती थीं कि मैं लोगों से जाकर मिल सकूं। मेरे लिए लजीज़ खाने भिजवाती थीं। मैं उन्हें उस बात की याद कैसे दिला सकती थी, जो उनके खिलाफ़ जाती थी। मैंने अमिताभ और रेखा के बारे में पढ़ा था। अमिताभ ने अपने अहं की तुष्टि के लिए रेखा का इस्तेमाल किया। वे देखना चाहते थे कि कोई औरत उनके लिए किस हद तक जा सकती है। साथ ही वे यह भी जानना चाहते थे कि औरतों पर उनका क्या प्रभाव है। लेकिन रेखा ने सब कुछ खो दिया। वह अमिताभ के लिए खूबसूरत बनी, लेकिन अमिताभ के प्रेम ने रेखा को हमेशा के लिए दासी बना दिया।


मैंने अमिताभ बच्‍चन को एक विषय की तरह पढ़ा। उन कारणों की खोज की, जिन से ऐसी स्थिति बनी कि अमिताभ बच्‍चन सुपरस्‍टार बन गए।
♦ मैंने एम फिल का शोध प्रबंध अमिताभ बच्‍चन के पास भेजा। उन्‍होंने पलट कर मुझे कॉल किया और मुंबई आमंत्रित किया। सेंटूर होटल में मेरे रहने की व्‍यवस्‍था की। घर से अपनी रसोई में बने लजीज खाने भिजवाए। मैं उनके परिवार से मिली। माता-पिता, जया, बच्‍चे और अजिताभ। मैं उनके दोस्‍त रोमेश शर्मा से मिली। उनके सहकर्मियों से मिली। मैं अमिताभ से मोहासक्‍त नहीं थी। किसी भी स्‍टार का सही प्रशंसक उसके बारे में सब कुछ पहले से जानता है।
♦ वे अच्‍छा खाते थे और खास स्‍वाद ही चाहते थे। वे हर तरह की चाय और काफी पीते थे। मैंने उन्‍हें स्‍वाद लेकर रेड वाइन पीते देखा था। वे अलकोहल नहीं लेते थे। उन्‍हें मांसाहारी भोजन अधिक पसंद नहीं था। हालांकि वे सिगरेट और शराब नहीं पीते थे, लेकिन नशेबाज का व्‍यक्तित्‍व था उनका। वे जितना अधिक सोचते और बतियाते थे, उतना ही अधिक चाय और काफी पीते थे।
♦ मैंने पाया कि वे अपने माता-पिता के भक्‍त और बच्‍चों से बहुत प्‍यार करते हैं, लेकिन जया से उनके तार सही तरीके से नहीं मिले हैं। अमिताभ का व्‍यक्तित्‍व एकाकी है। वे अच्‍छी तरह परिभाषित भूमिकाओं में अपने व्‍यक्तित्‍व का एक हिस्‍सा देते हैं। वे अच्‍छे बेटे और पिता हैं और सबकुछ मुहैया कराने वाले पति हैं। लेकिन जहां तक उनकी अपनी बात है, वे एकांतप्रिय व्‍यक्ति हैं। वे एक घेरा बना लेते हैं, जिसे उनकी बीवी भी नहीं तोड़ पातीं। वे खामोश रहना पसंद करते हैं।
♦ उनकी एक आदत है कि वे एक खोल से निकलकर दूसरे खोल में घुस जाते हैं। व्‍यक्तित्‍व बदल लेते हैं। अमिताभ एक नहीं है। वे अपनी खोल से निकल कर एक साथ कई व्‍यक्ति बन जाते हैं। आप के सामने एक अमिताभ का एक शरीर खड़ा रहता है, लेकिन मानसिक स्‍तर पर कई अमिताभ वहां होते हैं। और किस समय कौन से अमिताभ आप के सामने हैं… आप नहीं जान सकते। मैंने महसूस किया कि पति-पत्‍नी के बीच के तार टूटे हुए हैं। उन दिनों बेटे से भी उनका अधिक जुड़ाव नहीं था। मुझे लगा कि बच्‍चे मां के अधिक करीब हैं…


राज ठाकरे मित्र
बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा है कि राज ठाकरे उनके मित्र और मिलनसार आदमी हैं। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से वो राज से मिले नहीं हैं लेकिन जब मिलेंगे तो वो कहेंगे कि आपने जो कहा था, उसमें ये निराधार है और अगर हमसे कुछ ग़लती हुई होगी, तो माफी मांग लेंगे। अमिताभ ने कहा कि देश में लोकतंत्र है और हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है।
राहुल गांधी के लिए शुभकामना
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बारे में पूछने पर अमिताभ ने कहा, “राहुल नौजवान हैं, उनमें बहुत जोश है और उनको मेरी तरफ से शुभकामना है।” लेकिन राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर उन्होंने कहा, “ये तो जनता बताएगी।” उन्होंने कहा कि उनके परिवार में हरिवंश राय बच्चन के समय से ही नेहरू-गांधी परिवार का मान रहा है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी उनके मित्र थे और गांधी परिवार में दुर्घटना के बाद उन्हें लगा कि उनको राजीव के पीछे खड़े होना चाहिए, तो वो इलाहाबाद से लड़ गये।
मुझे राजनीति नहीं आती
उन्होंने कहा कि उस समय चुनाव लड़ने का फैसला उन्होंने किसी दबाव में नहीं बल्कि पूरे मन से लिया था। अमिताभ ने कहा कि जब संसद में उन्हें लगा कि जनता ने उन्हें जिस काम के लिए भेजा है, वो उसे कर नहीं पा रहे हैं तो उन्होंने राजनीति छोड़ दी। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति से हार मान ली क्योंकि मुझे वो आती नहीं है।
गांधी परिवार से दूरी के कारणों पर नहीं देंगे जवाब
जब अमिताभ से यह पूछा गया कि वो कौन-सी वजह है, जिसके कारण गांधी-बच्चन परिवार में दूरी आयी, तो उन्होंने इसका जवाब देने से इनकार कर दिया। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या अमर सिंह दोनों परिवार को फिर साथ ला सकते हैं तो अमिताभ का जवाब था, “अमर जी इस मंशा से वहां नहीं जाते।” उन्होंने कहा कि अमर सिंह उनके मित्र नहीं बल्कि उनके परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अगर बच्चन परिवार के साथ जो अच्छा-बुरा होता है, वो अमर सिंह पर भी उसी तरह बीतती है और जब अमर सिंह के साथ कुछ अच्छा-बुरा होता है तो वो बच्चन परिवार पर भी उसी तरह बीतती है।
रिटायर जनता करेगी
अमिताभ ने रिटायरमेंट के सवाल पर कहा कि रिटायर जनता करेगी। उन्होंने कहा कि जब लोग कह देंगे कि बहुत देख लिया आपको, अब आप भाग जाओ, तो बैठ जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक बार नब्बे के दशक में उन्होंने चार-पांच साल की छुट्टी ली थी लेकिन इसके बावजूद वो नहीं कर पाये, जो वो करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि फिर एक दिन वो यश चोपड़ा के पास गये और उनसे कहा कि वो फिल्म करना चाहते हैं और मोहब्बतें फिल्म में काम किया। उन्होंने कहा कि फिर उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति में काम किया और इससे हुई कमाई से एबीसीएल के नाकाम होने के कारण खुद पर चढ़े कर्ज़ को चुकता किया।
फिर डुबकी लगाने में बहुत कष्ट हुआ
उन्होंने कहा कि पांच साल की छुट्टी के बाद जब वो लौटे, तो बॉलीवुड में बहुत पानी बह चुका था और उन्हें फिर से डुबकी लगाने में बहुत कष्ट उठाना पड़ा। अमिताभ ने बताया कि एबीसीएल को शुरू करने के लिए जब उन्हें पैसों की जरूरत हुई, तो उन्हें 15 करोड़ और जया बच्चन को 3 करोड़ का आंक कर 18 करोड़ का कर्ज़ दिया गया था। अमिताभ ने कहा कि एबीसीएल से उन्हें कॉरपोरेशन और वित्तीय क्षेत्र का अनुभव मिला और अब वो कोई भी फ़ैसला सोच-समझ कर, सलाह लेकर ही करते हैं, जिसके अभाव में एबीसीएल दिवालिया हो गयी थी।
रियलटी शो में काम नहीं कर सकता
अमिताभ ने कहा कि वो रियलटी शो में काम नहीं कर सकते क्योंकि वो खुद को इसके लायक नहीं मानते। उन्होंने कहा कि 84 दिन तक बिना अखबार, बिना फोन, परिवार से दूर रह पाना और फिर नोंक-झोंक उनके वश की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वो इस समय रियलटी शो को बहुत नज़दीक से देख रहे हैं और उनका मानना है कि इनमें हिस्सा लेना बहुत ही मुश्किल काम है।
“गुरु” वाले अभिषेक सबसे ज़्यादा पसंद
अमिताभ ने कहा कि अभिषेक बच्चन की फिल्मों में उन्हें “गुरु” का काम सबसे ज़्यादा पसंद आया। उन्होंने कहा कि अभिषेक को कम समय में ही इतनी चुनौतीपूर्ण भूमिका मिल गयी, जिसे उन्होंने बखूबी पेश भी किया।
मिले तो अच्छा, न मिले तो और अच्छा…
अमिताभ ने कहा कि अगर कोई कलाकार यह कह दे कि उसने सब कुछ कर लिया है, तो उसकी मौत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एक कलाकार के मन में अधूरापन अच्छा होता है क्योंकि आपमें कुछ और करने की भूख बची रहती है। उन्होंने कहा कि उनके पिताजी ने सिखाया था कि चाही हुई चीज़ मिल जाए तो अच्छा और न मिले तो और भी अच्छा, क्योंकि फिर तो वो ईश्वर की इच्छा होगी।
न टीवी छोटा और न फिल्म बड़ी
अमिताभ ने कहा कि टीवी का पर्दा न तो छोटा है और न फिल्म का पर्दा बहुत बड़ा। दोनों जगह लोग कलाकार रचनात्मक काम करते हैं और पूरी मेहनत से करते हैं। उन्होंने कहा कि वो वही विज्ञापन करते हैं, जो उन्हें उचित लगता है। उन्होंने कहा कि वो शराब, सिगरेट या तंबाकू का सेवन नहीं करते इसलिए इनका विज्ञापन भी नहीं करते।

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