मंगलवार, 12 जनवरी 2010

बाल हिंसा

दुनिया भर में हर साल डेढ अरब बच्चे हिंसा का शिकार

यूनिसेफ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये जा भारी प्रयासों के बाद भी दुनिया भर में हर साल 50 करोड़ से डेढ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा का शिकार हो रहे हैं ।संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनिसेफ की दुनिया के बच्चों की स्थिति रिपोर्ट के विशेष संस्करण के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये जा भारी प्रयासों के बाद भी दुनिया भर में बच्चों के प्रति हिंसा की समस्या चौंकाने वाली है। हर साल 50 करोड़ से डेढ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा के शिकार हो रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार ‘‘विभिन्न प्रकार की हिंसा और अत्याचार के शिकार इन बच्चों को भविष्य में मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है । '' रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘बच्चों के हितों में अत्यधिक नुकसान पहुंचाने वाली प्रथाएं सामाजिक परंपराओं और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों का भाग होती हैं और पीढी दर पीढी विद्मान रहती हैं । अत:केवल कानून पारित कर देना ही काफी नहीं होता है। इनको सतत शैक्षिक एवं जागरूकता प्रयासों ,क्षमता निर्माण, पर्याप्त संसाधनों, परस्पर सहयोग तथा बच्चों की भागीदारी का समर्थन होना चाहिए । यह विशेष रूप से तभी लागू होता है जब बच्चों को हिंसा, र्दुव्‍यवहार और शोषण के बचाने की बात सामने आती है । '' रिपोर्ट के अनुसार हर देश एवं समुदाय ,सांस्कृतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक समूह में बच्चे हिंसा ,र्दुव्‍यवहार ,शोषण, उपेक्षा और भेदभाव के शिकार होते है । इस प्रकार के उल्लंघन बाल अधिकारों में रूकावट पैदा करते हैं। बाल अधिकार सम्मेलन के अनुच्छेद.19 में कहा गया है कि सभी सदस्य देशों को बच्चे की शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा ,उपेक्षा, शोषण के साथ साथ यौन र्दुव्‍यवहार से रक्षा के लिए उचित कानून, प्रशासनिक ,सामाजिक एवं शैक्षिक उपाय करने होंगे । भले ही बच्चे की देखभाल इस दौरान अभिभावकों अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की जा रही हो।इस प्रकार के सुरक्षाकारी उपाय हर प्रकार से उपयुक्त और बच्चे के लिए उपयोगी होने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक रूप से असमर्थ बच्चे भेदभाव और अकेलेपन के शिकार होने के साथ साथ विशेष रूप से शारीरिक हिंसा एवं भावनात्मक तथा मौखिक र्दुव्‍यवहार का शिकार होते हैं जिसके कारण बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति भी प्रभावित होती है।

वेश्यावृत्ति के पूर्व पेशे में मिलता था अधिक संतोष:महिला वैज्ञानिक

वेश्यावृत्ति के पूर्व पेशे में मिलता था अधिक संतोष:महिला वैज्ञानिक

ब्रिटेन की एक महिला वैज्ञानिक ने खुलासा किया है कि बेनामी सेक्स ब्लॉगर ‘‘बेले डे जूर’’ वही है और पूर्व में वह वेश्यावृत्ति का काम करती थी । उसने कहा है कि उसे कॉलगर्ल के रूप में काम करने में जितना ‘‘संतोष’’ मिलता था उतना वैज्ञानिक के वर्तमान पेशे में नहीं है ।ब्रिटिश अखबार ‘द टाइम्स’ को अपनी पहचान का खुलासा करते हुए पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आई 34 वर्षीय वैज्ञानिक ब्रुक मैगनंटी ने ‘‘पेशेवर संतुष्टि’’ का जिक्र करते हुए कहा है कि उसे कॉलगर्ल की अपनी पुरानी जिन्दगी बहुत ‘‘याद’’ आती है जब वह एक घंटे के 300 पांउड कमाती थी ।टीवी चैनल ‘स्काई आर्ट्स 1’ पर ‘द बुक शो’ में उसने कहा ‘‘मैं उन क्षणों से वंचित हो गई हूं जब आप मेरे लिए होटल में टहल रहे होते थे और मुझे महसूस होता था कि अब मैं वह काम करूंगी जिसमें मैं माहिर हूं । बेले डे जूर में अब भी बहुत कुछ है ।’’ डेवलपमेंटल न्यूरोटॉक्सिकोलॉजी और कैंसर रोग विशेषज्ञ मैगनंटी वास्तव में उस समय वेश्यावृत्ति के पेशे में आई जब वह शेफील्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही थी।उसने अपने पहले ग्राहक से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा है ‘‘जिस तरह अन्य नौकरियों में आपको किसी से होने वाली पहली मुलाकात को लेकर रोमांच रहता है उसी तरह इस पेशे में भी है । आप अपने व्यक्तित्व के हर पहलू पर ध्यान देते हैं । ऐसा नहीं है कि पहले मुझमें बेले नहीं था । बेले मेरा अधिक विश्वस्त हिस्सा है ।’’ यह पूछे जाने पर कि उसने ब्लॉग क्यों लिखा तो उसने कहा ‘‘यदि मैं ऐसा नहीं करती तो मैं अपने दोस्तों को नहीं बता पाती । इससे मुझे बहुत सारे लोगों के सामने खुद यह नहीं बताना पड़ा कि मेरी जिन्दगी में क्या घटित हो रहा है।’’ हालांकि उसे अपनी पूर्व जिन्दगी को लेकर कोई शर्म महसूस नहीं होती । उसने कहा ‘‘ऐसा कुछ नहीं है कि मैं खुद को शर्मिन्दा महसूस करूं लेकिन मुझे दूसरे लोगों की प्रतिक्रियाओं का डर था ।’’