सोमवार, 15 मार्च 2010

समाज

हाय रे बचपन .....पढ़ने की उम्र में चोरी के गुर
पढ़ने लिखने की उम्र में तमाम बच्चे रेलवे स्टेशन पर चोरी के गुर सीख रहे हैं। इन्हें अपराधी बनाने के लिए पहले नशे की गर्त में डाला जाता है और उसके बाद उन्हें चोरी के धंधे में लगाया जाता है। रात होते ही रेलवे स्टेशन के आसपास पसरे सन्नाटे में बाल अपाराधियों की आमद होने लगती है। खास बात यह है कि बाल अपराध में कम उम्र की लड़कियां भी शामिल हैं, जिन्हें देर रात रिक्शों में स्टेशन के आसपास की सैर कराई जाती है।
पुलिस व जीआरपी ने इस तरफ से नजर फेर रखी है। बताया तो यह भी जा रहा है कि बाल अपराधियों के गुरुओं से पुलिस व जीआरपी हफ्ता वसूली करती है, जिसके चलते उन्हें टोका नहीं जाता। शहर में लगातार बढ़ रही चोरी की वारदातों के पीछे कहीं बाल अपराधियों का हाथ तो नहीं है। इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन रेलवे स्टेशन पर उग रही बाल अपराधियों की नर्सरी पर पुलिस का कहना है कि समय-समय पर स्टेशन के इर्द-गिर्द उनके सफाए का अभियान जरूर चलाया जाता है। ट्रेनिंग देने वाले वे लोग हैं, जो चलती ट्रेन से मुसाफिरों के आंखों के सामने से उनका सामान चोरी कर लेते हैं।
बताया जाता है कि रेलवे स्टेशन के आसपास झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवार के बच्चों को पैसों का लालच देकर इस धंधे में उतारा जा रहा है। अपराधी बनाने से पहले उन्हें नशे की लत लगाई जाती है। रात को रिक्शा में शहर की सैर कराई जाती है। जो बच्चा विरोध करता है तो उसकी पिटाई भी होती है। हाल ही में जीआरपी ने रेलवे स्टेशन से सामान चोरी करने वाले बाल अपराधियों को रात के समय रंग हाथ पकड़ लिया था, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
खास बात यह है कि अपराध की दुनिया में कम उम्र की युवतियों को भी उतारा जा रहा है। इनसे ट्रेन में भीख मांगने की आड़ में सामान चोरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पिछले दिनों ट्रेन में चोरी करते युवतियों के झुंड को लोगों न पकड़ लिया था, लेकिन बाद में जीआरपी ने कोर्ट कचहरी का वास्ता देकर मामले को रफा दफा कर दिया। रेलवे स्टेशन पर उग रही बाल अपराधियों के बारे में दुकानदारों का कहना है कि कई शातिर किस्म के चोर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं, जो जीआरपी व पुलिस को हफ्ता देते हैं। इसलिए पुलिस वाले मामला दर्ज करने के बजाय पीड़ित को इधर-उधर के चक्कर कटवाते हैं। बाल अपराधी उन्हीं लोगों को अपना शिकार बनाते हैं, जो बाहर से यहां आते हैं।
जीआरपी व पुलिस के पास स्टेशन पर यात्रियों के सामान पर हाथ साफ करने वाले बाल अपराधियों का आंकड़ा न हो पर स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि कोई सा ऐसा दिन होता होगा, जब बाल अपराधी पकड़े न जाते हों। पुलिस कुछ भी कहे पर लगातार स्टेशन परिसर के आसपास बढ़ रही चोरी की वारदातें इस बात की गवाह हैं कि स्टेशन पर बाल अपराधियों की नर्सरी तैयार की जा रही अब्दुल्ला /ई.एम्.एस। में

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