इस बार शरद पूणिर्मा की रात विशेष संयोग लिए हुए है। रामराज कौशिक के मुताबिक जिस व्यक्ति की चंद्रमा की महादशा चल रही है या जन्मकुंडली में चंद्रमा अशुभ है, उन्हे इस रात्रि को खीर का सेवन करने के साथ-साथ खीर का दान भी करना चाहिए।इस बार करवाचौथ पर व्रतधारी दुल्हनें उजमन नहीं कर सकेंगी। कारण इस बार करवा चौथ पर तारा अस्त रहेगा। हालांकि करवाचौथ का त्यौहार धूमधाम से ही मनेगा। व्रत भी रखा जाएगा, लेकिन उजमन नहीं हो सकेगा। करवाचौथ 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
19अक्टूबर से तीन नवंबर तक शुक्र
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लेना चाहिए। शरदपूर्णिमा की रात्रि को विशेष रूप से रोगनाशक व शीतलता देने वाली कहा है। इसका आयुर्वेद में खासा महत्व है। आयुर्वेदाचार्य डा. मोहित गुप्ता के मुताबिक शरदपूर्णिमा की रात्रि को चावल, मिश्री, दूध की खीर सोमलता की बेल मिलाकर बनाने चाहिए। हालांकि सोमलता खुद में कई रोगों के दमन के जानी जाती है। इस खीर को शरदपूर्णिमा की चांदनी में रखकर सुबह चार बजे खाने से शरीर की दाह शांत होती है। ब्लड प्रेशर, घबराहट, दिमागी रोग दूर होते हैं। अश्विन शुक्ल पक्ष की पूणिर्मा तिथि शरदपूणिर्मा, को जागर व्रत, महर्षि वाल्मीकी जयंती के नाम से जानी जाती है। 22अकूबर को शरदपूणिर्मा है। शुक्रवार की पूरी रात पूणिर्मा तिथि होने के कारण यह रात्रि और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। पंडित रामराज के मुताबिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में अमृत की बूंदें समाहित होती हैं।
इसलिए इस रात्रि को खीर बनाकर चांद की चांदनी में रखने से इसमें अमृत की वर्षा के कुछ कण आवश्य मिलते है। जो व्यक्ति यह खीर सुबह उठकर खाता है वह निरोग और बलशाली होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा ग्रह हमारे मन, मस्तिस्क का कारक ग्रह है, जिन लोगों को दिल, दिमाग से संबंधित रोग हैं वह भी इस खीर के सेवन करने से ठीक हो जाते हैं।
- अनूप
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