शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

जनगणना २०११

- अनिल अनूप
देश मे हर दशाब्दी मे एक बार जगणना की उपयोगी परम्परा है। इससे योजनाऎ बनाने मे आधारभूत आंकडे मिल जाते है, पर लम्बे चौडे कई राज्यो और केन्द्रित शासित प्रदेशो के इस देश मे जनगणना मे ज्यादा समय लगता है, तो रिपोर्ट बनने और प्रकाशित होने मे भी उतना ही समय लगता है। अब जब इस बार 2011 की जनगणना का सिलसिला शुरू हुआ, तो जातिगत जनगणना का मुद्दा इतना हावी हुआ, कि सरकार को लेने के देने पड गए।
हर छोटे बडे दल ने अपनी जबरदस्त मांग रख दी और फायदे नुकसान गिनाने शुरू कर दिये। सरकार ने भी इस बिना बुलाये आई आफत को मत्रिमंडल की बैठक कर, ऎसे टाला कि जातिगत जनगणना अलग से कराई जायेगी तब जाकर कही विपदा टली। एक तरफ विश्व कुटुम्ब का आदर्श दोहराया जाता है, इन्सान को भाई भाई कहा जाता है, और बसपा की मेडम मायावती एव उनके सभी समर्थक प्राचीन ब्राम्हण, क्षत्रिय, वेश्य, शूद्र की अवधारणा से ही सक्त नफरत करते है, और जातिवाद को जड से मिटाने का आव्हान किया जाता है तो दूसरी तरफ जातिगत जनगणना के क्या दुष्परणिम होगे। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई ब्राम्हण राजपूत बनिया धोबी मोची कर्मकार चर्मकार जैन अग्रवाल खण्डेलवाल जाट सबको पता लग जायेगा कि हम देश मे कितने है, और हमारी ताकत कितनी है। फिर एक जाति वाला केवल अपनी जाति के ही लोगो परिवारो की मदद करेगे, तो वोट भी अपने जाति वालो को दी देगे।
न्याय पालिका कमजोर पडने लगेगी, और जातिपंचायत का फैसला अंतिम एव निर्णायक होने लगेगा। एक गांव ढाणी मे एक जाति का वर्चस्व होगा और दूसरी जाति वालो को वहां से पलायन भी करना पड सकता है। मुखिया बन जायेगे उन्ही का दबदबा चलेगा। पर आजादी के बाद और खासकर अब खूब अन्तर जातीय प्रेम विवाह हो रहे है, और आज के आधुनिक समाज ने इन्हे मौन स्वीकृति दे रखी है। तब ऎसे मामलो मे पति की जाति लिखी जायेगी या पत्नि की। मान लीजिए दोनो की अलग अगल जाति का ही उल्लेख कर दिया तो उनकी औलादो को किसी जाति के खाते मे डाला जायेगा। हालांकि चुनाव अभी भी जातिवाद के आधार पर ही लडे जाते है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार मे। पर सरकार यदि जातिगत जनगणना कराती है, तो दुनिया मे क्या छवि उभरेगी, जहा भारतीयो से नस्ल भद कर, झगडा मारपीट हत्या के साथ गालीगलोच भी की जाती है। तब ऎसा लगता है जातिगत जनगणना का सरकारी फैसला टालने और टालते जाने के लिए ही लिया गया है। ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी

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