क्या देखते हो सोचो मत जो होना होगा या जो होना होता है वही  होता भी  है  जिसे हम जाने अन्जाने आमंत्रित करते हैं................. 
हिंदुस्तान के वलियों में खुदा के एक दीवाने पिया हाजी अली समंदर में अपने रब को याद करते थे  उन्हें रब ने प्यार किया था,वे चाहते भी थे और शायद इसी लिए  वे दुनिया से  बेजार सारी माया और मोह को त्याग कर अपने रब की खुशनूदी की तलाश में आ गए इस मद मस्त समंदर की लहरों के बीच... कहते है पीर फकीरों को दुनिया  के हर जर्रे  में दिखता है तो बस खुदा और उसके रसूल की ,जन्नत के बागों की अलबेली खुशबु से मोअत्तर इस पानी की घुंघरू की सुगन्धित आवाज  देखो तो सही कितना  गुनगुनाती है  अपने रब और उसके दीवानों के आस्तानों के नीचे.......। 
                                              यह है पिया हाजीअली के रौजे का वह स्तम्भ
 यह है मुम्बई के शाहे समंदर पिया हाजीअली का आस्ताने शरीफ ..पिया जी आ  गए इसी समन्दर की अठखेलियाँ करते लहरों के बीच और मगन हो गए यादे खुदा में । इस समंदर का  एक एक कतरा आज भी यहाँ बारे ही  गुमान से हमारे सामने इठलाती हैं भले ही हमें नही मालूम मगर ये लहरें जानती हैं की वह खुदा  के प्यारे की पाँव को चूम चूम, कर सचमुच गुमान करने के काबिल हैं भी.....

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aap kee rachna padhee hai