संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में जिन 17 भारतीयों को मौत की सजा दी गई है, उन्हें राहत देने के लिए भारत ने अपील की तैयारी पूरी कर ली है। शारजाह के उच्च न्यायालय में 12 अप्रैल से पहले इस संबंध में अपील दायर की जा सकती है। वहां के कानून के मुताबिक, निचली अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के 2 सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दायर होनी चाहिए। शारजाह की एक शरिया अदालत ने 29 मार्च को भारतीयों को सजा दी थी। सूत्रों के मुताबिक, अपने नागरिकों को बचाने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने वहां के एक नामी वकील का चुनाव कर लिया है। इस बीच भारत में यूएई दूतावास ने सोमवार को एक बयान जारी किया। इसके मुताबिक वहां की सरकार ने इस मामले में मुकदमे के निष्पक्ष संचालन की गारंटी दी है। बयान में कहा गया कि मौत की सजा का मामला आगे की अपील पर निर्भर करेगा। यानी अपील के साथ साक्ष्यों और दलीलों की गुणवत्ता पर अब भारत के 17 नागरिकों का भविष्य तय होगा। दूतावास ने यह भी कहा है कि यूएई की न्यायिक प्रणाली के तहत मौत की सजा के मामले में अपील ही सब कुछ है और किसी भी पार्टी की ओर दखलंदाजी कतई स्वीकार्य नहीं की जाती है। दोषियों को निष्पक्ष ट्रायल की पूरी गारंटी है और वहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि पूरा न्याय हो। इस बीच, भारत ने यूएई सरकार से भी संपर्क साधा है ताकि इस मामले को निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित हो। वैसे सूत्रों की मानें तो पाकिस्तानी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए भारतीयों के खिलाफ वहां एक लाबी भी सक्रिय हो चुकी है। यही वजह है कि जेल में बंद भारतीयों से दिल्ली के नुमाइंदे लगातार संपर्क में हैं ताकि उनकी तरफ से सब कुछ स्पष्ट तरीके से मालूम होता रहे। विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि कानूनी लड़ाई का खर्चा वह ही वहन करेगा। यूएई में मुक्तिदूसरे मुल्कों के लिए मिसाल नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : यूएई में मौत की सजा पाए भारतीयों को अगर छुड़वा लिया गया तो यह उनके लिए राहत ही नहीं बल्कि दूसरे मुल्कों में फंसे भारतीयों के लिए मिसाल भी होगी। इससे चीन, स्पेन और खाड़ी देशों में कानून के हत्थे चढ़े भारतीयों को भी राहत देने का मार्ग प्रशस्त होगा। कुछ माह पहले चीन में तकरीबन 21 भारतीयों को हीरा तस्करी के मामले में पकड़ा गया था। यह सभी जेल में हैं। उनके खिलाफ बीजिंग की अदालत कभी भी कड़ी सजा सुना सकती है। स्पेन की जेल में भी 30 से ज्यादा भारतीय जेल में हैं। वहीं, अरब देशों में अवैध वीजा मामले में कई भारतीय तमाम जेलों में बंद हैं। इनमें कई मामले ऐसे हैं, जिनमें अगर ठोस अपील हो तो भारतीयों को बचाया जा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। इसीलिए यूएई में मौत की सजा से भारतीयों को बचाने के लिए विदेश मंत्रालय जी-जान से जुट गया है ताकि अन्य मामलों के लिए रास्ता बने।